गायत्री मंत्र के अश्लील अनुवाद का खण्डन।

Written By : Vedic Dharmi Ashish वेदों के गायत्री मंत्र जैसे एक पवित्र तथा प्रशिद्ध मंत्र जो शुक्ल यजुर्वेद (३६/३) में आता है उसको आज कल विधर्मीयों के द्वारा बदनाम करने की कोशिश किया जा रहा है। वामपंथी, नव बौद्ध , मुस्लिम आदि विधर्मी जिनको वैदिक व्याकरण का घंटा ज्ञान नहीं है यह लोग आज गायत्री मंत्र पे अनुवाद कर रहें है और वह भी अपने मन मुताबिक। इस लेख में हम इन्ही मूर्खों के अज्ञानता को उजागर करेंगे। पहले देख लेते है इन जाहिलो के द्वारा गायत्री मंत्र के संस्कृत शब्दों का किस प्रकार व्याख्या किया गया है जो आज कल इंटरनेट में प्रसारित हो रहे हैं। भू:,भुवः,स्वः का अर्थ : वामपंथियों के गलत अनुवाद गायत्री मंत्र के प्रथम तीन शब्द है भू: भुवः स्वः । अब इसमें जो "भू:" शब्द है उसका अनुवाद इन "प्रतिभा एक डायरी" नामक वामपंथी वेबसाईट के मूर्खों ने किया है "भूमि पर" । अब इन जाहिलो को मूलभूत संस्कृत व्याकरण के शब्दरूप पता होता तो भू: का अर्थ भूमि पर नही करते क्यू की यह शब्द प्रथमा विभक्ति एक वचन में आया है इसलिए इसका अर्थ भूमि पर नही हो सकता। जब की "भूमि पर...